हमारे माता पिता बचपन से हमारी देखभाल करने में जुटे रहते हैं तो हमारा फ़र्ज़ भी बनता है कि हमें भी अपने बड़े बुढो का अच्छे से ख्याल रखना चाहिए | कभी भी बड़ो को अनदेखा नहीं करना चाहिए | जो वे कहते हैं उसे ध्यान से और समझदारी के साथ निभाना भी चाहिए | पर मैंने अपने जीवन में ऐसी गलती की है जिसपर मैं आज तक पछतावा करता हूँ |
मैं मुरली, अपने दादा जी का इकलौता और लाडला पोता | मेरे दादा जी दिल के मरीज़ थे | उन्हें हर समय इमरजेंसी के लिए दवा अपने पास रखनी पड़ती थी | डॉक्टर्स के अनुसार वह दवा दिल का दौरा पड़ने से रोक सकती थी |
एक दिन मम्मी और पापा को बहुत ज़रूरी काम से दूसरे शहर जाना पड़ गया था | मेरे दादा जी ने मुझे आवाज लगा कर अपने पास बुलाया और उनकी दवा लाने को कहा | मैं बहुत जल्दी में था तो मैंने उनसे पैसे लिए और कहा के आते समय लेता आऊंगा और मैं निकल गया | मैं उस दिन किसी काम से कॉलेज के बाद अपने दोस्त के घर चला गया |
देर रात जब मैं घर पर लौटा तो मैंने क्या देखा ? दादा जी ज़मीन पर बेहोश पड़े थे | किसी तरह मैं उन्हें लेके हॉस्पिटल पंहुचा तो डॉक्टर्स ने चेकअप करके दादा जी को मृत घोषित कर दिया |
मैं अपनी उस भूल पर बहुत पछताता हूँ कि क्यू मैंने अपने दादा जी की बात को नज़र अंदाज़ किया जिसकी वजह से उन्हें अपनी जान गवानी पड़ी |
bazurg jo kehte hain hamare liye acha hi hota hai…