Phir Bhi Is Dil Ko Intezaar Hai Us Din Ka

Phir Bhi Is Dil Ko Intezaar Hai Us Din Ka……

अपनी ज़िन्दगी को दुसरे के हवाले करना भी कहाँ आसान है। दुनिया में बहुत ही काम लोग होते है जो दुसरो की ज़िन्दगी को अपनी जिंदगी से ज़्यादा संभल कर रखते है। काश मुझे भी कोई ऐसी मिली मिली होती जो मेरी ज़िन्दगी को खुद से ज़्यादा न सही कम से कम अपनी ज़िन्दगी के जितना तो संभालती। लेकिन मुझे बहुत ही अफ़सोस है के उसने तो मेरी बिलकुल भी कदर न की और मुझे दो साल धोखे में रखा। गलती उसकी भी नहीं थी, गलती तो मेरी थी जो मैंने उसपर अंधविश्वास किया।

दोस्तों मैं आशीष आज आपसे अपनी ज़िन्दगी के दर्द भरे हिस्से के बारे में बताऊंगा। हम सभी को अपनी अपनी स्कूल लाइफ या कॉलेज लाइफ में प्यार होता है। ऐसा ही प्यार मुझे अपने स्कूल के आठवीं कक्षा में हुआ था। जब हमारी आठवीं कक्षा की शुरुआत हुई तो हमारी क्लास में एक बहुत ही सुन्दर परी ने एड्मिशन ली। उस पारी का नाम था कोमल। कोमल बाकी लड़कियों से बिलकुल अलग थी। वो हमेशा क्लास में प्रथम आती थी। क्लास के सारे दोस्त उसकी तरफ आकर्षित थे और उन में से एक मै भी था जो उसपर पूरी तरह से फ़िदा था। इसके साथ साथ मै उसे चाहने भी लग गया। जैसे जैसे दिन बीतते गए वैसे वैसे हम दोनों की दोस्ती गहरी होती गयी। भगवन जाने उस वकत मुझे क्या हुआ, उसकी हर एक बात मुझे बहुत जल्दी भ लेती थी और मै उसके ऊपर पूरी तरह फ़िदा था। पता नहीं ये बात वो जानती भी थी या नहीं।

स्कूल के दो साल बीत गए. मुझे उसकी दोस्ती भाती गयी. शायद वो मेरा पहला और आखरी प्यार था। जब दसवीं कक्षा में दाखले का समय आया तो न जाने उसके अड्मिशन न करवाने पर मई क्यों फूट-फूट कर रोया, शायद वही प्यार था। दसवीं कक्षा में दखल के समय उसने अपना नाम रजिस्टर नहीं करवाया। ऐसा उसने इसलिए किया क्योंकि उसके पापा का ट्रांसफर दिल्ली पुलिस स्टेशन में हो गया। जब वो जा रही थी उसने एक बार भी मूढ़ कर नहीं देखा। मई भी कभी उससे अपने प्यार के बारे में न बता पाया। शायद ये सिर्फ एक तरफ़ा प्यार था।

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