बचपन में सभी भाई–बहन कभी न कभी कही न कही साथ रहें होंगे | उस वक्त मस्ती भी काफी की होंगी |
आज मैं आपके समक्ष एक ऐसी ही कहानी बताने जा रही हूँ |
हम 4 भाई–बहन सब साथ होते थे काफी धूम करते थे | गर्मियों की छुटियों में अक्सर हम एक दुसरे के घर रहने जाया करते थे |
इस बार भी मेरे मौसी के बच्चे हमारे घर रहने आये | हम काफी खुश थे हम यह सोच सोच कर खुश हो रहे थे कि हम कैसे अपनी छुटियाँ बिताएँगे |
एक दिन मेरी मां और मौसी को बहार का कुछ काम पढ़ गया और वो हमें अकेला छोड़ कर चले गये | हम तो थे ही नादान कुछ समझ तो थी नहीं, हमने बचपने में काफी फ़ोन कर दिये और फ़ोन जिनको किये उनमे शामिल थे पुलिस,एम्बुलेंस,फायरब्रिगेड इत्तेयादी | जब लगातार हमने काफी फ़ोन कर दिये तो वह सब लोग भी दुखी हो गये और जब दोबारा कॉल की तो उन्होंने गुस्से से हमें बोला की, अब आपने कॉल की तो सीधा कारवाई करनी होंगी और इस बात से हम डर गये और तुरंत फ़ोन रख दिया पर उसके बाद से हमें समज आ गयी कि जो हमने किया था गलत था और ऐसा करने से हमें सज़ा भी हो सकती हैं | बाद में हम सब ने उनसे माफ़ी मांगी और बोला आगे से ऐसा कभी नहीं होगा |
इतना कहने के बाद हमने फ़ोन रख दिया और चैन की सांस ली | पर हम खुश हैं कि हमें उसी समय सबक मिला क्यूंकि अगर नहीं मिलता तो फिर से वही गलती दोबारा दोहराते और अपने घरवालों को भी दुखी करते |
sahi hua end me, mujhe tumhari soch achi lagi…