आज कल लोग सड़क पर वाहनों को तेज़ हवा के साथ दौडाते नज़र आते हैं’ | ऐसे में सड़क दुर्घटना आम तौर पर देखी जाती है | लोग इतने नासमझ होते हैं कि वे ये नहीं समझ पाते कि एक ज़िन्दगी के साथ कई और जिंदगियाँ जुडी होती हैं | इस बात का एहसास मुझे उस दिन हुआ जब एक सड़क दुर्घटना में मेरे दोनों पैर चले गए |
मैं राजू अपने परिवार में आमदनी का एकमात्र सहारा था | उस दिन मैं सुबह सुबह तैयार होकर अपनी नौकरी के लिए निकल रहा था और रोज़ की तरह मेरी माँ ने मुझे आवाज़ लगा कर पीछे से कहा “बेटा गाड़ी धीरे चलाना | क्यूंकि उन्हें पता था की मेरी गाड़ी की रफ़्तार हवा से बातें करती हैं |
उस दिन शहर में काफी जाम लगा हुआ था | पर मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ा | देखते देखते मैं पलक झपकते ही मेरी गाड़ी हाईवे पर आ गयी | एक मोड़ आने पर सामने से एक ट्रक आ रहा था | मेरी गाड़ी की रफ़्तार बहुत तेज़ होने के कारण गाड़ी का संतुलन बिगड़ गया और हम दोनों में टक्कर हो गयी | जिसकी वजह से मेरे दोनों पैर कट गए |
मैं आज अपनी गलती पर बहुत पछतावा करता हूँ जब मेरे परिवार को घर के खर्चो के लिए दूसरों के आगे हाथ फ़ैलाने पड़ते हैं |