आज कल भागदौड़ वाली ज़िन्दगी ने सभी लोगों को व्यस्त कर दिया है | लोग अपने परिजनों को ही समय नहीं दे पा रहें हैं | जिसकी वजह से सभी दूर जा रहे हैं और रिश्ते भी भूल रहे हैं | लोग अगर मिलते हैं तो 1 घंटे के लिए | अब तो इतना बुरा हाल हो गया है कि माँ–पिता को भी अपने बच्चों के लिये समय निकालना मुश्किल हो गया है |
हमारे घर से थोड़ी दूरी में एक घर हैं जहाँ 2 बच्चियां अपनी माँ के साथ रहती हैं | और उनके पिता बाहर रहते हैं | उनकी माँ नौकरी करती हैं और वह सुबह जाकर शाम को आती है | पूरा दिन बच्चियां अकेली रहती हैं |
अगर स्कूल हो तो सुबह जाकर दोपहर को 3 बजे तक घर आ जाती हैं | मन करे तो खाती हैं और न करे तो नहीं भूखी रह जाती हैं | दोपहर के 3 बजे से लेकर शाम के 5 बजे तक कभी किसी के घर और कभी किसी के घर घूमती रहती हैं |
फिर 5 बजे वो पढने चली जाती हैं | यह सब होने के बाद भी वह खुश रहती हैं और अपना जीवन जीती हैं पर हमें अच्छा नहीं लगता और तरस भी आता है यह सब देखकर कि कोई उनकी देखभाल नही करता पर फिर भी उनके चहरे पर किसी तरह की शिकन नही है |
किसी ने सही कहा है की बचपन चीज़ ही ऐसी हैं जहाँ सिर्फ बिन्दास होकर सभी परेशानियों से दूर किसी की कोई खोज ख़बर न होकर जीया जाता हैं फिर चाहे उन्हें पूरा समय अकेले ही क्यू न बिताना पढ़े | पर हमें, खास कर के घरवालों को इसको गंभीरता से लेना चाहिए क्यूंकि बच्चे तो एक अनमोल रत्न होते हैं जो हमारे आने वाला कल होते हैं |
Article on child girls .