क्या वस्त्र ही चरित्र निर्माण करतें हैं?
मैं एक कंपनी में नौकरी के इंटरव्यू के लिए गयी थी | मैं जिस जगह से आती हूँ वहां की लडकिया सब तरह के वस्त्र पहनती हैं | मैं भी उसदिन जीन्स पहन कर चली गयी | जब मैं ऑफिस के अंदर गयी तो सभी ऐसे देख रहे थे की जैसे मैंने कुछ पाप किया हो | सभी मुझे अजीब नज़रों से देख रहे थे |
मैं अपने विद्यार्थी समय से ही बहुत होशियार रही हूँ और हमेशा अव्वल रही हूँ | उस नौकरी के लिए जो क्षमता चाहिए थी वो सब मुझमे हैं| मुझे लग रहा था की मुझे यह नौकरी ज़रूर मिलेगी परन्तु ये क्या ,मेरे अन्दर जाते ही मुझे सीधा बोल दिया की मैं यहाँ काम नहीं कर सकती क्यूंकि मेरा पहरावा उन्हें पसंद नहीं आया | जब उन्होंने मुझे यह बात बोली तब मैं काफी दुखी हो गयी कि आज कल सिर्फ लोगो को उनके पहनावे से ही पहचाना जाता है |क्या उनकी काबलियत कोई मायने नहीं रखती? तब मुझे महसूस हुआ की आज कल वस्त्र से ही इंसान की पहचान होती है न के उसके मेहनत और काम से | क्या लड़की के कपडे उसका चरित्र निर्माण करने में सहायक है ? या ये सिर्फ देखने वाले की नीयत पर निर्भर करता है | लड़कियों को देश का भविष्य मान कर पढाया लिखाया जाता है पर आज भी हमारे समाज में लड़कियों को वो दर्जा नहीं मिला है जो वो चाहती हैं | खुलके जीने की आज़ादी जैसे की उन्हें आज भी नहीं दी गयी है | हमारा समाज निर्धारित करता]है की लड़की क्या पहनेगी और क्या नहीं? क्या यह सिर्फ लड़कियों पर नहीं छोड़ देना चाहिए कि उन्हें कैसे जीना है?
sahi likhe.. gajab! maza aa gaya tumhare hidya se nikle hue bol sunkar