मैं राधेश्याम (परिवर्तित नाम ) मेरी एक छोटी सी पान की दुकान है। मेरे दो बच्चे है एक बेटा और एक प्यारी सी बेटी। मेरा बेटा कॉलेज में पढता है और बेटी अभी दसवीं कक्षा में है। बच्चों पर पूरा विश्वास रखता हूँ और अपनी परवरिश पर पूरा अभिमान है मुझे। लेकिन एक बार की भूल पर मैं आज तक पछताता हूँ।
एक बार मेरा बेटा कॉलेज से खून में लतपत घर आया। वह कुछ भी बताने की हालत में नहीं था। पर मुझे चिंता हुई की ऐसा क्या हुआ है इसके साथ। कॉलेज में पता करने पर जान पड़ा की कुछ लड़को से झगड़ा किया है इसने। इस बात को सुनकर मैं गुस्से से भर गया। और अपने बेटे के होश में आते ही उसे डांटने लगा। और उसका कॉलेज बंद करने की धमकी देने लगा। मेरे बेटे ने मेरे शांत होते ही मुझे बताया की जिन लड़कों से उसका झगड़ा हुआ था वे एक लड़की को छेड रहे थे और लड़की को लज्जित कर रहे थे। उसने उन लड़को से लड़की को बचाया था।
ऐसा सुन मुझे बहुत दुःख हुआ कि बेटे को क्यों इतना डांटा। आज मुझे अपने बेटे पर और अपनी परवरिश पर नाज़ है