कहते हैं सोने को घिस घिसकर ही सुनार उसकी असली चमक को बाहर लाता है। ऐसे ही पिता अपने बेटे को मेहनत करा करा कर ही उसे ज़िन्दगी के सही मूल्यों का ज्ञान देता है। मैं रामजी दास का बेटा सिद्धार्थ हूँ। मैं अपने पिता की इस बात के बिलकुल विरुद्ध था कि वो मुझे 12 की परीक्षा के बाद CA के ऑफिस में भेजें। मैं भी और लड़को की तरह कॉलेज जाकर मस्ती करना चाहता था। अभी मैं किसी भी तरह का बोझ नहीं उठाना चाहता था। शायद मैं और बच्चों की तरह आवारा घूमना चाहता था।
मेरे पिता जी के बार बार कहने पर मैं उनके दोस्त की फर्म में काम करने लगा। मेरी पढ़ाई भी प्राइवेट होने लगी उसके साथ मैं काम का अनुभव भी ले रहा था।मैंने धीरे धीरे अपनी ग्रेजुएशन भी कम्पलीट कर ली और मुझे CA का थोड़ा काम भी समझ आ गया था। मेरा हुनर देख मेरे पिता ने मुझे CA करने के लिए प्रोत्साहित किया। ये मेरे पिता की सीख का नतीजा है जो मैं आज एक जाना माना CA हूँ।
इस बात के लिए मैं अपने पिता का बहुत शुक्रगुज़ार हूँ कि वे मेरे लिए उस सुनार की तरह निकले जो सोने को घिस घिसकर उसकी असली चमक देता है।
sahi kaha pita hi hum jaise pital ko ghis ghis kar sona banate hai. solute to all fathers…