एक भारतीय परिवार का हर व्यक्ति एक दुसरे पर विश्वास करता तभी तो बे झिझक किसी को भी कोई कह दिया करते है | उस परिवार के हर व्यक्ति का फ़र्ज़ बनता है कि वे परिवार के विश्वास को बना कर रखे | यदि एक बार विश्वास टूट जाता है तो वह दुबारा स्थापित करना मुश्किल होता है |
ऐसा ही एक किस्सा मेरे साथ भी हुआ था जिसके कारण मैंने अपने परिवार वालों का विश्वास खो दिया है और उसे मैं आज तक दुबारा वापस नहीं पा सकी |
मैं सुनैना ( बदला हुआ नाम ) B.Com दुसरे सत्र की छात्रा हूँ | आज से 4 महीने पहले मैंने अपने माँ से अपनी एक सहेली के घर पर पढने जाने की और रात को रुक कर परीक्षा की तैयारी करने की इजाज़त मांगी | मेरी माँ ने इस बात की इजाज़त दादा जी से मांगने के लिए कहा | मुझे पता था दादा जी मना कर देंगे पर फिर भी मैंने उनसे पूछ लिया |
मेरे काफी समझाने के बाद उन्होंने मुझे जाने की इजाज़त दे दी और साथ में कहा कि उनका विश्वास है कि मैं कोई भी गलत काम नहीं करुँगी |
सच बात तो ये थी के हमने रात को अपने दोस्तों के साथ क्लब जाने की योजना बनाई थी | क्लब पहुचने के बाद वहां रेड पड़ गयी और हमें पुलिस पकड कर ले गयी | यह बात जब मेरे घर वालों को पता चली तो उन्होंने मुझे वहां से छुडा तो लिया पर मैंने उनका विश्वास हमेशा के लिए खो दिया है | मैं अपनी गलती के बारे में सोचकर आज बहुत पछताती हूँ |