मैं तुमको बहुत पहले से जानता था लेकिन अब तुम्हे पहचाना है | दिल की साफ़ और हर समय हसने-हसाने वाली, वो प्यारी सुरत वाली भोली-भालीऔर मनमोहक झूले की डाली और हर किसी से हस कर बात, चेहरे में एक आजीब सा एहसास यही आपकी अदा | जो हर किसी को अपनी तरफ खीच लेती है ….. मानो एक खिलता हुआ गुलाब और गर्मियों की रात में आती सर्द हवा… सी उसकी मुस्कान | ऐसा ही कुछ सोचता हूँ जब तुमसे मिलता हूँ | कि वो हमसे ऐसे ही हसती रहे …. उसके सारे दुख म्मानो मेरे को लग जाएं और जब भी उसके साथ होता हूँ उसके चेहरे की हंसी को देखकर मैं अपने ग़मों को भूल जाता हूँ | मेरे दिल को एक आजीब सा एहसास होता है | जब वो मेरे साथ होती है | वैसे हमने जन्नत को कभी देखा तो नही था | पर हमें उनका वो छोटा सा घर हमारे लिए जन्नत लगता है | मानेगे कैसे कहीं …. क्योंकि जन्नत में खुदा रहता है | और शायद उसे परमात्मा इसलिए कहते हैं क्योंकि उसका दिल साफ़ होता है | इसलिए उस छोटे से घर में रहने वाली का दिल भी साफ़ है…………