मेरी ज़िन्दगी भी क्या ज़िन्दगी है जिसे आज तक मई तो समझ न पायी वो क्या समझता !!
ये कहानी है उन हसीं लम्हो की जिसे मई तो भुला न पायी और न ही मुझे लगता है के आगे भी उन पलों को भुला पाऊँगी। अगर आपके पास कोई तरीका हो तो मुझे ज़रूर बताना। दोस्तों, इस प्यार की शुरुआत मेरी सहेली के प्यार से हुई मगर उस प्यार से मुझे बहुत ज़्यादा दर्द झेलना पड़ा। दर्द भी क्या कहे तकलीफ थी बहुत बड़ी जिसे मै न तो भुला पायी, न भुला पा रही हूँ और आगे भी मुझे नहीं लगता कभी भुला पाऊँगी।
वो मेरी बेस्ट फ्रेंड थी, पता नहीं ये उसकी बदकिस्मती थी या मेरी। एक दिन मै अपनी दोस्त के कहने पर उसके साथ उसके बॉयफ्रेंड को मिलने गयी। उस दिन से वो मेरा भी बेस्ट फ्रेंड बन गया। हमारी दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में कब बदल गयी ये मुझे पता ही नहीं चला और आज उसकी एक झलक के लिए मुझे तरसना पढता है। उसने मेरी बेस्ट फ्रेंड, रूही के साथ होते हुए मुझे भी कब अपने प्यार में फसा लिया ये तो मुझे पता ही नहीं लगा।
हम हर रोज़ बहार घूमने जाया करते थे। कभी-कभी हम रिया को भी साथ ले जाया करते। रिया इतनी भोली और मासूम थी के उसको हमारे इस रिलेशन के बारे में आज तक नहीं पता चला। मगर वो अछि रह गयी क्योंकि उसने दो महीने पहले ही गुजरात में शिफ्ट हो जाने के वजह से वो इस मुसीबत से सही सलामत निकल गयी। मगर मई बहुत बड़ी मुसीबत में हूँ क्योंकि न तो मई उसको छोड़ सकती हूँ और न ही उसके साथ जा सकती। रिया के गुजरात शिफ्ट हो जाने के बाद अजय ने मुझे ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया।
उसका ये रूप देख कर मई भी हैरान थी। उसने मुझे कहा के तुम्हारे पास दो ओप्तिओंस है या तो अपना घर छोड़ दो या फिर मेरे साथ चलो। मै अपना घर नहीं छोड़ सकती क्योंकि मुझे मेरे माँ बाप बहुत प्यारे है, मै ऐसा नहीं कर सकती। लेकिन दूसरी और मै अजय के बिना नहीं नहीं रह सकती। दोस्तों अब आप ही बताओ मै क्या करू ????