हेलो दोस्तों, मेरा नाम है अलीशा और मैं होशियारपुर की रहने वाली हूँ। होशियारपुर में मेरा एक छोटा सा परिवार है। मेरी एक बेहेन है और एक भाई और माँ बाबा। हम सभी ख़ुशी-ख़ुशी रहते थे। लेकिन एक दिन मेरी मुलाकात कमलेश से हुई। उसके नाम की तरह वो भी थोड़ा कमला था मगर मुझे बहुत पसंद था। मुझे उसकी हर एक बात अच्छी लगती। उसके साथ मेरे दिन का उजाला होता, उसे देखते ही मेरे चेहरे पर ख़ुशी आ जाती और जब वो जाता तो मानो मेरी जान अपने साथ कही ले गया हो। वो बड़ा ही नटखट था लेकिन जो भी हो वो मेरी पहली महोबत्त थी।
जब एक दिन कमलेश मेरे शहर घूमने आया उस दिन इत्तेफाक से मैं अपनी सहेलियों के साथ बाजार घूमने गयी हुई थी। बाजार में घूमते-घूमते मेरी बाजु उसकी बाजु के साथ टकराई। ये सब कुछ उसने जानकर नहीं बल्कि इत्तेफाक से हो गया था। उस दिन मेरी गलतफहमी की वजह से मैंने कमलेश को बहुत बातें सुनाई और वो बिचारा कुछ भी न बोला। कहने को वो भी बहुत कुछ कह सकता था लेकिन वो चुप रहा। अगले दिन फिर अचानक हम टकराए और जब मुझे पता लगा की पहली बार भी हम इत्तेफाक से टकराए थे तो मुझे उसपर बहुत प्यार आने लगा। मेरी मोहोबत्त उसके लिए जागने लगी और मैंने लड़की होने के बावज़ूद उसे propose कर दिया। फिर मुझे अंदर से थोड़ा डर भी था की वो मेरे propose का इंकार न कर दे। लेकिन मैं ऐवी ही दरी जा रही थी उसने झट से हाँ कर दी। उस समय मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था, मैं झूमने लगी गुनगुनाने लगी और मेरा प्यार भी बहुत खुश था।
उस दिन मुझे लगा मैंने पूरी कायनात को हासिल कर लिया है और अब मुझे और कुछ नहीं चाहिए। वो मेरी ज़िन्दगी का सबसे हसीं पल था। इस तरह करते करते कुछ दिन बीत गए और मेरी ज़िन्दगी आगे आगे और हसीं बनती गयी। फिर क्या? कहते हैं न जब इंसान प्यार में पागल हो जाये तो उसे किसी भी और चीज़ का ध्यान नहीं रहता, मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। मेरी महोबत्त मुझे मिल गयी, ज़िन्दगी रंगीन हो गयी और मेरे सपने सच होने लगे। एक दिन मैं घर में झूठ बोलकर कमलेश से मिलने उसके शहर लुधियाने गयी। वहाँ पहुँचने पर कमलेश ने मुझे अपनी बड़ी बहन से मुझे मिलवाया। जब उसकी बड़ी बहन ने मुझसे प्यार से बात की और उसने कहा की मैं घर में सबसे तुम्हारे रिश्ते की बात करुँगी तो मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा। मुझे कमलेश पर पहले से भी ज़्यादा प्यार आना शुरू हो गया।
अब मैं कमलेश के साथ अपनी नई ज़िन्दगी का बेसब्री से इंतज़ार करने लगी। मुझे उसकी हर एक बात सच्ची लगती और मैं खुद को खुशनसीब समझने लगी की मुझे मेरी महोबत्त मिली और एक अच्छी family भी। वो मेरा पहला,आखरी और सच्चा प्यार था। कुछ महीने यूँ ही हस्ते हस्ते बीत गए और फिर कमलेश ने अपने रंग दिखने शुरू कर दिए। वो मेरे साथ बतमीज़ी से बात करता, मेरे परिवार को बुरा-भला बोलता। वो मुझे कहने लगा “तू शुक्र मना की तुझे मैं मिला, वरना जैसी तू है तुझे तो कोई भी नसीब न होता ” वो मुझे हर वक्त demotivate करता, मुझे निचा दिखता। एक दिन मेरी बेहेन से भी मेरे बारे में बुरा-भला कहने लगा, वो छोटी थी उसे इन सब बातों की बिलकुल समझ नहीं थी और न ही उसे कमलेश और मेरे बारे में कुछ भी पता था। उस दिन मैं बहुत निराश हुई। मुझे लगने लगा की मैंने अपनी ज़िन्दगी अपने ही हाथों बर्बाद कर दी है। इसलिए मैंने उसे छोड़ देना ही सही समझा।
मैंने उससे बात करनी तो बंद करदी मगर मेरा दिल जनता है की मेरे दिल पर उस समय क्या बीत रही थी। मैं घर के एक कोने में अकेले बैठ कर रोती रहती, लेकिन जब कोई आता तो मैं अपने आँसुओं को छुपा लेती। फिर एक दिन मेरी बेहेन ने मुझे रोता देखा और उसने मुझे कहा “दीदी मुझे पता है तुम किसी तकलीफ में हो और उस दर्द को हमारे साथ नहीं बाँटना चाहती मगर आप चिंता मत करो, आपके हर दर्द को मैं जड़ से ही काट दूंगी फिर वो दर्द खुद ही मर जायेगा और आपको तंग करने के लिए बचेगा ही नहीं ” मेरी बेहेन की एक बात ने मेरी खोई हुई ख़ुशी मुझे लोटा दी और मैंने खुद को संभाला। ये थी दोस्तों मेरी छोटी सी प्रेम कहानी। हम लड़कियां बहुत ज़्यादा emotional होती है, अपने emotions को संभाल नहीं पाती और अपने दर्द को अपने आँखों से निशावर करती हैं। लेकिन इसमें भी हमारा ही नुक्सान होता है क्योंकि आँसू बहाकर भी तो हमें ही तकलीफ मिलती है और फालतू में हमारा चेहरा ख़राब हो जाता है। तो कभी भी किसी के लिए रोने की कोई ज़रूरत नहीं है। अगर दुनिया आपकी कदर नहीं करती तो अपनी कदर खुद करना सीखो।
very very nice story.