मैं रजत अपने घर में राजा की तरह पला बढ़ा | मुझे हमेशा सिखाया गया कि जो मैं करता हूँ कहता हूँ सब कुछ ठीक है | मेरे माँ बाप ने मेरा एडमिशन शहर के बहुत नामी स्कूल में कराया था | क्यूंकि छोटें लोगो को तो जैसे मैं अपनी आँखों के सामने देखना भी पसंद नहीं करता था | उन्हें देखकर ही मुझे अजीब सा लगता था की जैसे भगवान् ने इन्हें बनाया ही क्यू था |
एक बार की बात है मैं अपने ड्राईवर के साथ अपनी कार में स्कूल जा रहा था | रास्ते में एक मेरी ही उम्र का लड़का अपनी साइकिल पर अखबार रखे जा रहा था | उसकी साइकिल गलती से मेरी कार से टकरा गयी | मैंने कार से बाहर निकल कर उस लड़के को बहुत खरी खोटी सुनाई | मैंने उसे उसकी औकात याद दिला दी थी | मैं फिर से अपनी गाड़ी में बैठा और स्कूल चला गया|
पर ये क्या थोड़ी ही देर में मैंने क्या देखा…. वही अखबार बेचने वाला लड़का मेरी ही कक्षा में बैठा था | मैंने टीचर को कहा कि यह छोटी जात का अखबार बेचने वाला बच्चा यहाँ क्या कर रहा है| तो उन्होंने मुझे बताया कि यह पूरी कक्षा का सबसे होनहार विद्यार्थी है | वह हमेशा अपनी वार्षिक परीक्षा में अव्वल आता है |
इस बात को सुन मुझे खुद से घृणा होने लगी के मैं ये क्या कर बैठा | मेरी झूठी शान उस लड़के की खूबियां नहीं जान पाई | मुझे लोगो को छोटा या बड़ा नहीं समझना चाहिए था |
आज वही लड़का मेरा सबसे अच्छा और प्रिय दोस्त है |