“ये इश्क़ नहीं आसान दोस्तों, वो हमें दर्द देते गए और हम मुस्कुराते गए…….”
दोस्तों, दुनिया के लाखों हज़ारों आशिक़ों की तरह मै भी एक आशिक़ था, जिसको ये आश्कि डूबा ले गयी। एक बार की बात है, मै तनहा पार्क में रोज़ सैर करने जाता था। उसी पार्क में एक दिन बहुत ही सुन्दर लड़की आयी और मुझे बुलाने लगी। हम रोज़ यही मिलते रहे और एक दिन हम बहुत ही अच्छे दोस्त बन गए। हमारी दोस्ती इतनी गहरी हो गयी के अब पीछे जा पाना न मुंकिन था। मै अक्सर दिन ख़तम होने के बारे में सोचता ता की शाम हो और मेरी मुलाकात उसके साथ हो पाए।
एक दिन वो पार्क में आयी लेकिन मुझे कहने लगी ” मुझे लगता है की अब हमें ये दोस्ती ख़तम कर देनी चाहिए। ” मैंने उससे इसके पीछे का कारन पूछा और वो कहने लगी अब मेरा रिश्ता होने जा रहा है लेकिन हम फिर भी अच्छे दोस्त रहेंगे। असल में मेरे लिए एक बहुत ही आमिर फॅमिली से रिश्ता आया है और मै उसके लिए मन नहीं कर सकती। मुझे लगता है के अब हमें रोज़-रोज़ नहीं मिलना चाहिए।
इस तरह की बात उसके मुँह से सुनने के बाद मई खुद को नहीं रोक पाया। मेरा मन था के मई इस दुनिया में क्यों हूँ? फिर मुझे मेरे माँ और बाबा का ख्याल आया जिन्होंने अपनी पूरी ज़िन्दगी मुझपर कुर्बान कर दी। फिर मैंने खुद को संभल लिया। कुछ महीनो बाद उसने मुझे मिलने को बुलाया। मई उसी पार्क में उसे मिलने गया। उसने मुझे कहा क वो मेरे बिना नहीं रह सकती। उसने कहा के वो आज भी मेरी है, एक पल मुझे विशवास हो गया। और मैंने फिर से मुस्कुराना शुरू कर दिया। मेरी ज़िन्दगी दुबारा रंगीन हो गयी। मगर वो बहुत ही ज़्यादा चालक निकली, मेरे साथ प्यार के वाडे करने के बाद, एक दिन वो मेरे ही एक आमिर दोस्त के साथ भाग गयी और मुझे भनक भी नहीं लगने दी।
इस तरह दोस्तों, “वो हमें दर्द देते गए और हम मुस्कुराते गए…….” मेरी ज़िन्दगी एक मज़ाक बन कर रह गयी। अब मै किसी भी लड़की पर विशवास करने के काबिल नहीं बचा।