Ankahe Jazbaat – Love Story in Hindi

कहाँ से शुरू करूं या ये कहूँ के तुम्हरी याद आ रही है या ये बोलूं कि याद तो उन्हें किया जाता है जिन्हें हम भुल जाते है और मैं तो तुम्हे एक पल के लिए ही नही भुला पाता… कभी सोचा नही था कि हम ऐसे मिलेंगे | इसे ख्वाब कहूँ या हकीकत …. क्योंकि खवाब तो इन खुली आँखों ने बहुत सजाए थे पर हकीकत तो जैसे कुछ और ही थी मेरे सपनों में तुम मुझे हमेशा मिलती हूं पर आज हकीकत एक खवाब लगता है कि ये सच भी है या नही ये बस एक ख्वाब था तुमसे पहली बार मिलना| तुम्हे अपने करीब महसूस करना | इन आँखों को जैसे पता नही कब से तुम्हें मिलने का इंतज़ार था और जब तुम सामने आई तो मेरी ये आँखें मुझे भी भुल गयी | जब भी उस आईने में खुद को देखना चाहा सिर्फ तुम ही नज़र आई | जब भी दिल की सुननी चाही उसने तुम्हरा ही नाम लिया | जब भी तुम्हरा ख्याल आता मैं खुद को भुला देता था | तुमको जब पहली बार देखा जैसे वो पल मेरी पलकों में कैद हो गये हों | तेरा करीब से गुजरना वो हवा … वो खुशबु…. आज भी मैं महसूस करता हूं | जब हम मिले कहने के लिए वो जिन्दगी के कुछ ही पल थे लेकिन जैसे वो पल मेरे लिए जिन्दगी से भी बढ़कर हो गये हों
इसे मैं क्या कहूँ जैसे ये दिल अब भी तुम्हरे लिए जोर-जोर से धड़क रहा होता है वो पल जब ये ऑंखें चोरी-चोरी तुम्हे ही देखी जा रही थी… जिसकी तुम्हे खबर तक नही | वो पल जब लगा कि अब तुम्हे देख नही पाउँगा … जाते समय तुम्हें बार-बार पलट कर देखना लेकिन तुम्हारा एक बार भी पलटकर ना देखना | जिन्दगी की सबसे हसीन शाम थी वो कभी ना भुला पाने वाली …..
ना जाने कैसे मैं अपने जज्बातों को अपने अन्दर थामकर रखा है कि कहीं गलती से भी तुम मेरे इन जज्बातों को ना समझ जाओ… बस हसता रहा की कहीं तुम्हे इन आँखों में वो ना नज़र आ जाएँ जो मैंने छुपाने की कोशिश की है फिर भी ये ऑंखें तुम्हे कितना कुछ कह गयी पर तुम समझ ही नही पाई .. या शायद अनजान बनी रही | अच्छा है कि तुम अनजान ही बनी रहो वरना अगर तुम जान गयी तो बहुत कुछ बदल जाएगा | मेरा खुद पर काबू नही रहेगा | कहीं भुल न जाऊ | तुम किसी और की ना हो जाओ | भुल ना जाऊ कि मेरा तुम पर कोई हक नही बनता | भुल ना जाओ कि तुम किसी और से प्यार करती हो और मैं सिर्फ तुमसे | पर नही मैं अपने दिल को समझा रहा हूं कि तुम्हरे ख्वाब सजाना छोड़ दूं | वो ख्वाब देखने ही क्यों जिसका हकीकत से कोई रिश्ता ही नही पर इस बात से खुश भी हूं कि कम से कम इन ख्वाबों में तुम मेरी हो .. चाहे फिर जो भी हकीकत हो कम से कम इन ख्वाबों में तो मैं तुम्हें अपना कह सकता हूं इस बात से खुश हूं कि तुम मेरे साथ हो और हमेशा रहोगी | तुम दूर रहकर भी मुझे अपने करीब महसूस होती हो ये भी पता है कि तुम भी मेरे दिल की बात समझ जाती हो ना कहकर भी जैसे सब कुछ कह दिया हो सच खून तो ना पा कर भी मैंने तुझे पा लिया | ये दिल हमेशा ही तुझे चाहेगा | चाहे बदले में मोहबत मिले या ना मिले |

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *