Attachment | hindi story |

शुरुआत से ही मुझे सबसे बात करना बहुत अच्छा लगता था | जब मैं अपने रिश्तेदार के घर जाती थी तो मैं हर किसी से बात करती थी मुझे अच्छा लगता था | और ये मेरी आदत बन गयी थी | लेकिन कौन जानता था की मेरी ये आदत किसी की गलत फेहमी बन जायेगा |
मेरी इस कहानी की शुरुआत होती है पालमपुर से जब मेरा स्कूल भजन की प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए पालमपुर गया | मैं और मेरे साथ और भी विद्यार्थी थे और तीन अध्यापिकाएं थी | हम शाम को पालमपुर पहुंचे थे |

वहा और भी स्कूल के विद्यार्थी आये हुए थे | मैं अपनी आदत से मजबूर सब के साथ बाते करने लगी | उनकी अध्यापिका से भी मैं हस कर बात करने लगी | उस समय मेरे मन में लड़का या लड़की वाला कोई ख्याल नहीं था बस बात कर लेती थी चाहे जो भी हो | दूसरे स्कूल के साथ कुछ लड़के भी थे जिनसे मेरी कुछ समय में अच्छी दोस्ती हो गयी | बाद में हम सब पालमपुर का बाजार घूमने गए | दूसरे स्कूल के छात्र भी बाजार घूमने गए | हम सब साथ मिल कर बाजार घूमे लेकिन एक लड़का मुझ से बहुत बाते करने लगा | और मैं भी दोस्त के नाते उससे बाते करने लगी | मैं कहा से आई हु कहाँ रहती हूँ | जो जो वो पूछता गया मैं बताती गयी | क्योकि मुझे था की जो आज है वो कल नहीं होगा | अगले दिन हमारी प्रतियोगिता थी | जिसमे से हमारा स्कूल दूसरे स्थान पर आया | प्रतियोगिता खतम होने के बाद हमे वापिस अपने स्कूल जाना था | हम सब विद्यार्थी तैयार हो गए | वहा आये हुए सभी स्कूल के विद्यार्थी से मिलने लगी | और कुछ के नंबर भी ले लिए | हम वापिस अपने स्कूल आ गए |

कुछ दिनों बाद मुझे एक फ़ोन आया | वो फ़ोन उसी लड़के का था जो मुझ से बहुत बाते कर रहा था पालमपुर में | मैंने उससे बात की और उसने कहा की मैं आपके शहर आया हूँ | मैंने पूछा क्यों कोई काम था | तो उसने कहा की नहीं मैं आपसे मिलने आया हूँ | पहले तो मैं सोचने लगी की मुझे क्यों मिलने आया | फिर मैंने उसे घर पर आने को कहा | लेकिन उसने मना कर दिया और बाहर कही मिलने के लिए कहा | मैं उससे मिलने बस स्टॉप पर गयी | जब मैंने उसे पूछा की तुम यहाँ क्यों आये हो तब उसने कहा की वो मुझसे प्यार करता है | इतना सुन कर मुझे गुस्सा आ गया | और कहा की सिर्फ इक छोटी सी मुलाकात से तुम्हे प्यार हो गया | उसने कहा की आप मुझ से बात करती थी हस कर तो मुझे लगा तुम्हे भी मैं अच्छा लगता होगा | मैंने कहा की ये मेरी आदत है मैं सब के साथ हस कर मुस्कुराकर ही बात करती हु इसका मतलब ये नहीं की मुझे प्यार है एक Attachment हो जाती है बस इससे ज्यादा कुछ नहीं है |
और उसे वापिस घर जाने को कहा सच में उस दिन मैंने सोच लिया की बेवजह किसी से हस कर या बिना जान पहचान के नहीं बुलाऊंगी | मेरी Attachment को किसी ने मेरा प्यार समझ लिया और उसके पीछे वो मेरे शहर आ गया |

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