ये तो सच है कि माँ बाप अपने बच्चों पर जान छिड़कते है। और ये ज्यादा घरों में तब देखा जाता है अगर बच्चा इकलौता हो। उस बच्चे की हर जायज़ नाजायज़ खुआहिशें माँ बाप किसी भी तरह पूरी करते है। इस बात का परिणाम मैं आज झेल रहा हूँ। मैं रघुवंश पेशे से बिज़नेस चलाता हूँ। भगवान् की दुआ से मेरे घर में किसी बात की कमी ना थी। मेरे बेटे ने हाल ही में दसवीं की परीक्षा की थी। उसने मुझे परीक्षा पास करने पर एक महंगा फ़ोन लेने को कहा था। और मैंने उसे बीस हज़ार का फ़ोन लाकर दे दिया।
पर मुझे क्या पता था के वह फ़ोन उसकी जान ले लगा। पता नहीं कैसे गली के कुछ आवारा लड़कों को इस बात की खबर लग गयी। उन्होंने मेरे बेटे को अकेले में बुला कर फ़ोन छीन लिया और उसे ट्रेन की पटरी पर बाँध दिया। जब ट्रेन आई तो मेरा बेटा उसके नीचे आ गया।
आज मैं और मेरी पत्नी अपनी इस गलती पर पछताते हैं कि काश हम उसे वो फ़ोन ना लाकर देते तो वह आज हमारे साथ होता।बच्चों की हर खुहाईश पूरी करने के चक्कर में माँ बाप अपने बच्चों का अच्छा और बुरा भूल जाते है।