mata pita ka satkaar

माता पिता की सेवा और  सत्कार करने का मौका बहुत भाग्यशाली लोगों को ही मिलता है। मैं सुलेखा इस बात को महसूस करती हूँ कि काश समय रहते मैं अपने माँ बाप की सेवा  कर पाती। शादी से पहले मैं अपने माता पिता का बिलकुल भी आदर नहीं करती थी।अपनी माँ पर छोटी छोटी बात पर गुस्सा करना जैसे कि मेरी आदत बन गयी थी। अपने पिता का कहना ना मानना , अपनी मन मर्ज़ी करना , अपनी demands रखना और उन्हें पूरा करने की ज़िद्द करना तो जैसे मेरा स्वाभाव बन गया था। पर आज जब मैं  ससुराल में हु तो मुझे यहाँ  माँ बाप की बहुत याद आती है।  सास ससुर की सेवा करते समय महसूस होता है की काश मैं अपने माता पिता की भी सेवा कर पाती। वे भी तो बढ़ती उम्र के साथ साथ बूढ़े हुए थे। उन्हें भी अपने बच्चों की सेवा की ज़रूरत थी। इसलिए मेरे प्यारे मित्रों समय रहते अपने माँ बाप की सेवा करा करो वर्ना समय कब हाथ से चला जायेगा पता ही नहीं  चलेगा।

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