मैं एक 20 वर्षीय लड़के की माँ हूँ। मुझे अपने बेटे की हालत देख कर बहुत दुःख होता है। आज वह बिना ड्रग्स का इंजेक्शन लिए सोता नहीं है। उसकी इस हालत के लिए मैं खुद को ही दोषी मानती हूँ। मैंने कभी अपने बच्चे के खर्चों की ओर ध्यान नहीं किया। वह जितने पैसे मांगता मैं उसके हाथ में दे देती थी। बिन बाप का बेटा होने की वजह से मैंने कभी उसके खर्चो पर ध्यान नहीं दिया के वह कहाँ खर्च करता था। बस हमेशा उसके चेहरे पर ख़ुशी देखने की इच्छा के चक्कर में कही ना कही मैंने अपने बेटे को नशापत्ती के दलदल में ढ़केल दिया था। आज मेरा बेटा खाना पीना भूल चूका है बस चाहिए तो सिर्फ ड्रग्स। मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती उसके लिए।
आज मैं कोसती हूँ कि काश समय रहते मैं उसके फालतू खर्चों को नज़रअंदाज़ ना करती तो मुझे इतना बुरा नतीजा ना झेलना पड़ता। आज के नौजवान इस नशापत्ती के जाल में ऐसे फसते जा रहे है कि उन्हें अपने माँ बाप की कोई चिंता नहीं है कि उनके बाद उनके माँ बाप का क्या होगा।