इंसानियत आज भी जिन्दा है | hindi story |

प्यार की शुरुआत बहुत अच्छी होती है सब कुछ अच्छा लगता है मौसम भी सुहाना लगता है और जब मुझे भी प्यार का एहसास हुआ तो सब अच्छा लगने लगा | मन खुश रहने लगा बेवजह मुस्कुराने लगा | और जिसे मैं प्यार करती थी वो भी मुझ से बहुत प्यार करता था मेरे लिए कुछ भी करता था मैं उसे किसी भी काम के लिए कहती वो बिना कुछ सोचे कर देता था | एक दिन मेरी तबियत खराब हो गयी मैं अपनी माँ के साथ डॉक्टर के पास गयी डॉक्टर ने कहा की मुझे कैंसर है ये सुन कर मेरी सारी ज़िंदगी मानो रुक सी गयी हो | मैंने ये बात किसी को बताई मेरी माँ ने मेरा कही आना जाना भी बंद कर दिया था | वो मेरी बीमारी के कारण डर गयी थी | मुझे भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था की मैं क्या करू | मुझे आशीष के फ़ोन आने लगे |मैं अपनी बीमारी के कारण उससे बात नहीं कर रही थी | और न ही उसे अपनी बीमारी के बारे में बताया |


एक दिन मेरी बहन स्कूल जा रही थी और उसने मेरी बहन से पूछा की तुम्हारी बहन आजकल कॉलेज नहीं जाती | क्या हुआ है उसे मेरी बहन ने उसे कुछ न बताया | और घर आ कर मुझे कहा की किसी ने उससे तुम्हारे बारे में पूछा था | लेकिन मैंने उसे कुछ नहीं बताया |
मैंने तुरंत आशीष को फ़ोन किया और उससे सारे रिश्ते तोड़ दिए | लेकिन आशीष को कुछ अजीब लग रहा था और वो सचाई का पता लगाना चाहता था | कुछ समय बाद हम फिर गए डॉक्टर के पास अपना चेकउप करवाने |

आशीष ने उस समय हमारा पीछा किया और सारी बात का पता लगाया | जब उसे पता चला की मुझे बहुत गंभीर बीमारी है तो उसने अमेरिका में अपने पिता जी को फ़ोन किया और मेरे इलाज की बात की | उसके पिता सर्जरी के एक्सपर्ट डॉक्टर थे | आशीष के पिता को इंडिया में आने को कहा |


कुछ समय बाद उनके पिता घर आ गए आशीष ने मुझे उनसे मिलवाया |समय को खराब न करते हुए उन्होंने मेरा इलाज करना शुरू कर दिया | और मेरी बीमारी खतम हो गयी | मैं उसका एहसान कभी नहीं भूल सकती | मुझे आशीष और उसके पिता ने एक नया जीवन दिया था | मेरी माँ ने उनका बहुत धन्यवाद किया |और उसके पिता जी ने मेरा रिश्ता आशीष के साथ करने के लिए माँ से मेरा हाथ माँगा |उन्होंने कहा की अगर आपको ठीक लगे तो आप ये रिश्ता कर सकते है | आप ये न समझे की हम कोई कीमत मांग रहे है मेरे बेटे ने बताया है की वो आपकी लड़की को बहुत पसंद करता है | लेकिन मेरी माँ पुराने विचारो वाली थी उन्होंने ये रिश्ता न किया लोगो की बातो से बचने के लिए उन्होंने मेरी शादी आशीष से न होने दी | लेकिन आशीष मुझ से प्यार करता था इसलिए उसने कहा की जहा तुम्हारे परिवार वाले कहते है ठीक है मैं भी तुम्हारी ख़ुशी में खुश रहूंगा और हम दूर हो गए

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